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रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग ने आईवीयूएस (IVUS) के द्वारा किया राज्य में पहला सफल एंजियोप्लास्टी


Gadwal:

रायपुरचिकित्सा के क्षेत्र में रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल ने एक और आयाम को छुआ । रामकृष्ण केयर के हृदय रोग विभाग के डॉक्टर जावेद परवेज और डॉ. प्रणय अनिल जैन ने इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) के माध्यम से छत्तीसगढ़ की पहली एंजियोप्लास्टी की गई। रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में 40 वर्ष की आयु के एक मरीज के सीने में बहुत ज्यादा दर्द की शिकायत के साथ भर्ती हुआ। तब हृदय रोग विभाग के डॉ. जावेद परवेज व उनकी टीम ने रोगी की पूरी जांच की सबसे पहले एंजियोग्राफी किया व एंजियोग्राफी में पाया कि रोगी की लगभग 95% ब्लाकेज के साथ लेफ्ट मेन कोरोनरी आर्टरी (धमनी) की बीमारी थी। लेफ्ट मेन कॉरोनरी आर्टरी (धमनी) हृदय की सबसे बड़ी खून देने वाली धमनी होती है। मरीज की बाईपास सर्जरी करने में जोखिम बहुत था क्योंकि मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी व शारीरिक रूप से कमजोर था तब टीम ने चर्चा की और निर्णय लिया कि इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) के माध्यम से एंजियोप्लास्टी किया जायेगा।

इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) एक नवीनतम तकनीक है जिसके उपयोग से डॉक्टर्स आर्टरी (धमनी) के अंदर ब्लॉकेज को देखने में मदद करती है। आर्टरी के अंदर ब्लॉकेज को स्पष्टता से डॉक्टरों को एंजियोप्लास्टी करने में और सुविधा होती है। हृदय की दो शाखायें में स्टेंट के माध्यम से एंजियोप्लास्टी द्वारा ब्लाकेज को हटाया गया। डॉ. जावेद परवेज ने यह भी बताया कि इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) की सहायता से ब्लॉकेज की सही साईज जिसके अनुरूप स्टेंट का सही लंबाई की सटीक गणना कर सकते हैं। इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) की सुविधा न होने पर मरीज पहले महानगरों या फिर हाई रिस्क ओपन हार्ट सर्जरी के लिए रिफर किया जाता था। इस तकनीक के न होने पर ऑपरेशन मरीज के लिए हाई रिस्क होता था। परन्तु इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) के माध्यम से मरीजों को हाई रिस्क का कोई जोखिम नहीं रहता है। इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) के द्वारा एंजियोप्लास्टी करने पर मरीजों को केवल 4 दिनों के भीतर छुट्टी

कर दी जाती है और मरीज पहले जैसे अपने सामान्य कामकाज करने लगता है। डॉ. प्रणय अनिल जैन ने कहा कि आजकल कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक एवं ब्लॉकेज की समस्या आम होते जा रही है। आजकल लोगों की दिनचर्या, खान-पान का तरीका, व्यायाम न करना, तनाव इन सभी कारणों से काफी कम उम्र के लोगों में ब्लॉकेज हो जाता है।

डॉ. संदीप दवे (मेडिकल डायरेक्टर) एवं डॉ. तनुश्री सिद्धार्थ (एचसीसीओ) ने इस तकनीक की सफलता के लिए हृदय रोग विभाग के सभी डॉक्टरों व उनकी टीम को बधाई दी और यह भी बताया कि यह सुविधा मध्यभारत में अब तक सिर्फ रामकृष्ण केयर अस्पताल में उपलब्ध है और साथ ही उन्होंने बताया कि हृदय रोग विभाग सबसे बड़ी व अनुभवी चिकित्सकों की टीम है। साथ ही यहां पर अत्याधुनिक 3डी कैथलैब, इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS), EP+ RFA लैब की सुविधा 24×7 छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए उपलब्ध है।

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